हार क्यों मानना
हार क्यों मानना


दूसरों से खुशी की अपेक्षा क्यों रखना ?
तुम अपने आप को खुश रख सकते हो।
औरों की बात सुन क्यों चिंता करना ?
तुम बातों की गहराई को स्वयं समझ सकते हो।
बात–बात में क्यों चिड़चिड़ा जाना ?
तुम शांत चित से काम ले सकते हो।
गिरने की डर से क्यों रूक जाना ?
तुम स्वयं हिम्मत से लड़ सकते हो।
लोगों की बात पर क्यों कदम उठाना ?
तुम सोच समझ कर खुद सही निर्णय ले सकते हो।
एक साथ ज्यादा काम का क्यों बोझ उठाना ?
तुम स्थिरता से हर कार्य को पूरा कर सकते हो।
कठिन समय को क्यों चुनौती देना ?
तुम थोड़ा ठहर, वक्त को मात दे सकते हो।
सफल ना होने के भय से क्यों घबराना ?
तुम अपने मेहनत से सफलता प्राप्त कर सकते हो।