Mohammad Waseem

Inspirational

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Mohammad Waseem

Inspirational

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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ग़मज़दा हूं मेरी ग़म-गुसारी करो

ख़ैर ख्वाही करो तो हमारी करो 


चंद रोज़ा है आलम समझ लो अभी

तल्ख़ हरगिज़ नहीं बात प्यारी करो 


चाय से तुमको बेहद मोहब्बत है फिर

तो‌ अलीगढ़ वालों से ‌ही यारी करो 


यूं कोई काम करने से क्या फायदा?

हां अगर करना हो यादगारी करो 


वो भले ही तुम्हें देते थे गालियां

साथ उनके मगर पासदारी करो 


तुम अना अपने दिल में पीने ना दो

साथ हर एक के इंकिसारी करो



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