गौरव गायेंगे इस भू का
गौरव गायेंगे इस भू का
गौरव गाएँगे इस भू का ये भू है महादानी रे ।
रगों में इसकी दौड़ रहा है बुंदेलों का पानी रे।
छत्रसाल लक्ष्मीबाई से शासक यहाँ महान हुए।
आल्हा ऊदल योद्धा से महावीर बलवान हुए।
पृथ्वीराज को हरा के जिसने लिखी नयी कहानी रे ।
इस धरती को हरा सका ना कोई तीर तलवारों से।
इसका शौर्य दीपक जैसा लड़ता रहा अंधियारों से।
मिलके नमन करें सब इसको ये साक्षात भवानी रे।
नगर ओरछा तेज है इसका महोबा इसका पराक्रम है ।
नदी बेतवा हार है इसका झांसी इसका दमखम है।
गूंज रही कण-कण में इसके वीरों की कुर्बानी रे ।
आओ मिलकर प्रण लें इसकी कीर्ति बढ़ाएंगे ।
अपनी कर्म निष्ठा से गौरव इसका फिर लाएंगे।
इसके हित अर्पण कर देंगे हम सब अपनी जवानी रे।
शिक्षा स्वास्थ्य संस्कृति सुरक्षा और संगीत कला।
यश पाया उस कर्मवीर ने जो इसकी है गोद पला।
ऋण चुकाएँ मातृभूमि का यह तो है बलिदानी रे।
