STORYMIRROR

Anusha Sathia

Abstract Tragedy

3  

Anusha Sathia

Abstract Tragedy

एक सपने की मौत

एक सपने की मौत

1 min
276

दूर उस पहाड़ पर

पड़ा था एक सपना,

चांद सितारे की तरह चमकता

एक विशाल स्वर्णिम सपना।


बुलंद हौसले के साथ निकला

मैं पूरा करने वह सपना,

भूखा प्यासा भटक रहा

मैं पाने वह सपना।


बहुत समय बाद एक दिन

मुझे मिल गया वह सपना,

अथक परिश्रम के कारण

सच हुआ था वह सपना।


पल भर की खुशी दे पाया

मुझे छोटा सा वह सपना,

धूल में पड़ा हुआ था

मरा हुआ वह सपना।


दूर किसी पहाड़ पर

पड़ा था एक सपना,

चांद सितारे की तरह चमकता

एक नया स्वर्णिम सपना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract