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एक सपना

एक सपना

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एक सपना मरने का देश पर,

आज़ाद हिंद के द्वार थे,

गुलामियत की बेड़ियोँ ने जब,

जकड़े सब अधिकार थे।


आज़ादी का सपना दिल में,

आँखों में अंगार थे,

हाथों में थे प्राण स्वयं के,

वीरता का भंड़ार थे।


देश आन पर मर मिटने को,

वो हर क्षण तैयार थे,

हौसलों का बारुद था अंदर,

वो स्वयं हथियार थे।


एक सपना मरने का देश पर,

एक पैग़ाम वो लाए थे,

धूल चटाने अंग्रेज़ो को,

गाँधी आँधी बनके आए थे।


जिंदाबाद का नारा देकर,

क़फ़न ख़ुद के सिलवाए थे,

हँसकर झूल गए फाँसी पर,

भगत भक्त कहलाए थे।


सालों का था त्याग समर्पण,

आज़ादी तब पाए थे,

भारत माँ भी रोई होंगी,

जब वीरों ने प्राण गवाए थे।


एक सपने को पूरा करने,

लाखों ने हाँथ बढ़ाए थे,

हाँथ जोड़कर नमन उन्हें है,

जो क्राँति को लाए थे।


एक सपने के कारण ही तो,

स्वाधीनता को पाए थे,

आज़ादी की हवा चली जब,

तिरंगें को लहराए थे।


गूँज उठा हर कोना विश्व का,

जब वंदे मातरम् गाए थे,

एक सपने को पूरा कर,

हम हिन्दुस्तान बनाए थे।

हम हिन्दुस्तान बनाए थे।।


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