एक लखनवी का गुमान
एक लखनवी का गुमान
आइये आप का परिचय लखनऊ से करवाते हैं
कुछ अपने अंदाज़ में अवध के बारे में बताते हैं
होती थीं जहाँ घंटों गुफ्फतगू नुक्कड़ों और चौराहों पर
सोशल डिस्टन्सिंग के इस दौर में इंटरनेट पर ही महफ़िल सजाते हैं
आइये आप का परिचय लखनऊ से करवाते हैं ..........
इसकी रूह में वेदों के सुर भी हैं और
जुगलबंदी में अज़ान की तान भी
गंगा -जमनी है इसकी तहज़ीब
हर गली -गलियारों से यही पैगाम आते हैं
आइये आपका परिचय लखनऊ से करवाते हैं.........
अदब है इसकी ज़ुबान पे और
नवाबियत रगों में है
ये लखनऊ है जनाब ,
यहाँ तो "पहले आप " के फरमान पेश किये जाते हैं
आइये आपका परिचय लखनऊ से करवाते हैं..........
बागवान राम की थी ये विरासत
जो लखनपुरी के नाम से जानी गयी
मुग़लों ने भी इसे गले लगाया पैर कौशल प्रांत का "वध " हो न सका
इसलिए हम "अवध " के नाम से जाने जाते है
आइये आपका परिचय लखनऊ से करवाते हैं. .........
जब शाम ढलने लगती है और
दिल मचलने लगते हैं
गूंजते हैं आज भी तर्रनुम पुराने मोहल्लों में कव्वाली और ग़ज़लों के
बड़ी शौक़ीनीयत से यहाँ शाम -ए -अवध गुज़ारे जाते हैं
आइये आपका परिचय लखनऊ से करवाते हैं............
वो बाज़ारों में बेशुमार रौनक़
जहाँ चिकनकारी और क़सीदाकारी की नुमाइशें होतीं हैं
और ज़र्रे -ज़र्रे में बसा है ज़ायका इतना ,
की शहर के हर दर के मर्तबान , दावत -ए -खास की अफवाह उड़ाते हैं
आइये आपका परिचय लखनऊ से करवाते हैं..........
यहाँ इश्क भी पतंगबाज़ी में परवान चढ़ता है
और तकरार में भी मांझों की साज़िश होती है
हम क्यों ना इतराये लखनवी होने पे
यहाँ तो "आम " को भी खास करने की आज़माइश होती है
हम हैं लखनवी इस लिए हम खुशनसीब कहलाते हैं
और "मुस्कुराइए की आप लखनऊ में हैं " यही पैगाम सुनाते हैं
आइये आप का परिचय लखनऊ से करवाते हैं.........
- श्वेतांजलि श्रीवास्तव