दोगले इंसान
दोगले इंसान
सख्त नफरत है मुझे
दोगले लोगों से
जो होते हैं
जुबान पर कुछ
चरित्र के अंदर कुछ ।।
नहीं चाहिए उनकी
सहानुभूति मुझे
वह होते हैं शरीर पर
कुछ लिबास में कुछ।।
होते हैं वह पानी के
गिलास जैसे
कभी जूस डालो तो
कभी चाय डालकर पी जाओ ।।
गद्दारी करते हैं
वह अपने ईमान से
नहीं चाहिए
दो मुखी लोग मुझे
जो होते हैं हाथ में कुछ
लकीरों में कुछ।।