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Dhanshri Khade

Abstract

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Dhanshri Khade

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बस इतनी सी ख़्वाहिश

बस इतनी सी ख़्वाहिश

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मुश्किल वक्त में,भाग जाना मेरी फितरत में नहीं.

बस...इसलिए उसका सामना करती हूँ ।।

जिंदगी में ठोकर बहुत बार लगी..

कभी दिल पर..

कभी दिमाग पर...

तो कभी शरीर पर...

फिर भी रुकी नही.

क्योंकि,ठोकर ना खाने की आदत, ठोकर खाने से ही लगी . 


बेवजह उलझनो में कितनी बार फँसी ,

इसीलिए जिंदगी अब सुलझा के मुझे मिली . 

सच कहूँ ,मुझे मेरी हंसी बहुत पसंद है ।।

बीच राहों में, मुझे खोकर जो मिली.


वादे..अब किसी से लेती नहीं.

वादे हमेशा वादियो में खो जाते हैं ।।

में सपने कभी बुनती नही .

क्योंकि,इतनी गहरी नींद कभी आती नही.


बस अब एक साथी की तलाश है ।।

जो मुझे,उसके दिल में बसाकर,सुकून की जिंदगी दे.

जिसे खुद को सौंप कर.

मुझे जिंदगी जीनी है ।।

मुझे जिंदगी जीनी है ।।



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