अमर अमृत साहित्य
अमर अमृत साहित्य
समुंदर-सा गहरा है साहित्य
नदी की कलकल-है साहित्य
रवि भी है साहित्य
चांदनी- की ठंडक है साहित्य
कि गूंजता है साहित्य
बोलता है साहित्य
हँसाता है साहित्य
रुलाता है साहित्य
रूठों-को मनाता है साहित्य
अमरता दिलाता है साहित्य
आफताब है साहित्य
अपना बनाता है साहित्य
सम्मान कराता है साहित्य
और...गिराता भी है साहित्य
किन के नाम है साहित्य
किन किन के नाम है साहित्य
बहुतेरे मर खप गये लिख साहित्य...
और जो लिख गये साहित्य
उनका अमर-है साहित्य
छपी-किताबों में खुदा है साहित्य...
किसी-भी देश-की सभ्यता है
नवयुग नवलेखन से
बदलने का प्रयास है...
कि हम बदलेंगे
युग बदलेगा... नव-साहित्य
आयेगा...
साहित्य परिवर्तनशील है
नहीं तो कूप-मंडूक है...
साहित्य...
भाषा है
लिपी है, पहचान है
अरमान है, बोली है
अलग-अलग विघा है...
इंकलाब है, रंगोली है
इन्द्र-धनुष है, संस्कृति है
माटी की खुशबू है..
समुन्द्र-मंथन है
संस्कार है
प्रगति का पथ है...
और इंसाँ-धर्म-नक्शे की
पहचान है साहित्य
और मौलिकता में है साहित्य...
और वाड्ऐप
नहीं है शुद्ध-साहित्य...
इसमें...
है ज्ञान-नींव
पर स्वयं-की नयी-मौलिकता नहीं...
जिसमें नव-साहित्य नहीं,
चैटिंग है...
वो...साहित्य
और साहित्यकार
नहीं...
अतः हम बदलेंगे
साहित्य बदलेगा...
नवयुगीय युवा बदलेगा...
इंकलाब आयेगा
नया साहित्य
अंकुरित होगा...
हर युग में...
आमीन..आमीन... आमीन...।
