"ऐ शक्ति स्वरूपा नारी"
"ऐ शक्ति स्वरूपा नारी"
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ऐ शक्तिस्वरूपा नारी सुन,
शोषण तू सहना नहीं,
अब और चुप रहना नहीं।
अपनी शक्ति पहचान ले,
दुनिया की रीति तू जान ले,
जो सहता उसे सहाया जाता,
जो दबता उसे दबाया जाता,
इस निर्मोही संसार में,
अब और तू दबना नहीं,
ऐ शक्ति स्वरूपा नारी सुन,
अब और चुप रहना नहीं।
हिंसा और जुल्म की,
शिकार तू होना नहीं,
बन सकती दुर्गा काली तू,
पहचान निज खोना नहीं,
निज गौरव, निज अस्तित्व को,
समेट तू बिखरना नहीं,
ऐ शक्ति स्वरूपा नारी सुन,
अब और चुप रहना नहीं।
इस पुरुष प्रधान समाज ने अब तक,
निज स्वार्थ के नियम बनाए हैं,
बलि वेदी स्त्री चढ़ती आई,
किए न कोई उपाय हैं,
निज सम्मान की रक्षा कर,
रूढ़ि बंधन में जकड़ना नहीं,
ऐ शक्ति स्वरूपा नारी सुन,
अब और चुप रहना नहीं।