अधूरी ख्वाहिशें
अधूरी ख्वाहिशें
बारिश की बूंदें जब गिरती हैं,
मेरी अधूरी ख्वाहिश जागती हैं।
वो खुशी, वो सपने, वो इच्छाएं,
जो मेरे दिल में सदा बसती हैं।
कुछ तो पूरा करने का सपना,
कुछ तो करने की होती हैं इच्छा।
मगर बारिश की बूंदें आते ही,
सब कुछ भूल जाती हैं मन की उल्जना।
फिर से नए सपनों की उमंग,
जीवन में नई खुशियों का संग।
हर बारिश मुझे याद दिलाती हैं,
कि सपनों को हमेशा से जीवन में जगाना हैं।
बारिश की बूंदों से जीवन,
नई उमंगों से भरता हैं।
अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करने का,
हमेशा से मन में जगाना हैं।
बारिश की बूंदें जब गिरती हैं,
मेरी अधूरी ख्वाहिश जागती हैं।
प्रकृति के इस खेल में,
मन को हमेशा से सुकून मिलती हैं।
कुछ ऐसी ख्वाहिश है मन में,
जो अधूरी सी रह जाती है।
कुछ ऐसी आस है दिल में,
जो अधूरी ही रह जाती है।
मिलती है जब कोई चीज़,
तो दिल फिर भी नहीं समझता।
कुछ तो बाकी रह जाता है,
जो अधूरा ही रह जाता है।
कितना भी कर लें हम इंतज़ार,
कुछ न कुछ तो रह ही जाता है।
कुछ ऐसी चाहत होती है,
जो अधूरी ही रह जाती है।
जब भी उसे याद करते हैं,
दिल में कुछ अजीब सा एहसास होता है।
कुछ अनोखी सी खुशी मिलती है,
पर अधूरापन फिर भी रह जाता है।
कुछ ऐसी ख्वाहिश है मन में,
जो अधूरी सी रह जाती है।
कुछ ऐसी आस है दिल में,
जो अधूरी ही रह जाती है।
दिखता है जो ख्वाबों में करीब,
हकीकत में वह दूर रह जाता है।
कुछ ऐसी आस है दिल में,
जो अधूरी ही रह जाती है।
चाहत होती है कुछ कर गुजरने की,
पर एक टीस सी मन में रह ही जाती है।
कुछ ऐसी आस है दिल में,
जो अधूरी ही रह जाती है।
उतरता है चांद आंगन में ,
मगर तारों की कमी रह ही जाती है ।
कुछ ऐसी आस है दिल में,
जो अधूरी ही रह जाती है।
