आज का रावण
आज का रावण
है अगर कोई राम तो हो यही रावण दहन
अग्नि के प्रपंच में हो तम काम का वह दहन
और कोशिश यही रहे प्रेम की धारा बहे
मर्यादाए बची रहे
फूल कलियां खिलती रहे
लेकिन व्यंग उठता यह राम अब है कौन बचा
राम की नगरी मे रावणो का काफिला खड़ा
कालीख सत्ता बाले अब उसका दहन करेंगे
लड़कियों को जलाने वाले अब उसका दहन करेंगे
नहीं बची है मर्यादाये नहीं बचे अब कोई राम यहां
नहीं बची है लोक लाज अब नहीं बचे है लखन यहां
फिर रावण का क्यों यहां दहन कराया जाता है
हर बरस रावण का पुतला क्यों जलाया जाता है
कितने रावण वर्षों से हम जलाते आए हैं
ओडआडंबर हम उसका दहन करते आए हैं
फिर भी क्यों महसूस नहीं है हमारे घर की बेटियां
राह चलती स्त्रियां और बहू बेटियां
है अगर कोई राम तो हो फिर रावण दहन
हो फिर रावण दहन हो अभी रावण दहन।