हम नालंदा सतीश वानखेड़े, प्रशासनिक अधिकारी भारतीय जीवन बीमा निगम नागपुर में कार्यरत है। अंतरराष्ट्रीय मानवधिकार की महिला शाखा महाराष्ट्र राज्य की उपाध्यक्ष है। हमारी शैक्षणिक योग्यता, एमएससी गणित, एमबीए, भारतीय बीमा संस्थान से फेलोशिप और बीमाकंक के लंदन से 7 पेपर पास किये हैं। हमे लिखने का शौक... Read more
हम नालंदा सतीश वानखेड़े, प्रशासनिक अधिकारी भारतीय जीवन बीमा निगम नागपुर में कार्यरत है। अंतरराष्ट्रीय मानवधिकार की महिला शाखा महाराष्ट्र राज्य की उपाध्यक्ष है। हमारी शैक्षणिक योग्यता, एमएससी गणित, एमबीए, भारतीय बीमा संस्थान से फेलोशिप और बीमाकंक के लंदन से 7 पेपर पास किये हैं। हमे लिखने का शौक बचपन से ही था, पर पता चलते चलते एक चौथाई उम्र गुजर गई । समाज में होनेवाला अन्याय सहन नहीं होता था,हमेशा एक टिस रहती थी मन में , लोग दोहरी मानसिकता लेकर कैसे जीते हैं। कोई किसीका शोषण कैसे और क्यों करता हैं।
क्या जीने के कोई मापदंड है या सिर्फ अनैतिकता का बाज़ार है।इतनी विषमता, इतना द्वेष, इतनी नकारात्मकता......सोचकर इंसान पागल हो जाये.....एक इंसान ने दूसरे इंसान के साथ यह पागलपन नही करना चाहिए।छोड़ दो ना कश्तियों को लहरो के सहारे कभी,,,, कहि ना कहि तो साहिल मिल ही जायेगा । हरवक्त शिकवा शिकायतों में क्या रखा है..... चार दिन की जिंदगी है........इसलिए आओ मिलकर प्रेम के
दिप जलाये, ताकि हरतरफ प्रेम और प्यार की दुधिया रोशनी हो, सर्वत्र प्रेम की महक हो, जिंदगी जीने का मकसद हो हर किसीके पास । सागर की गहराई हो जीवन में,,,सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो, सबका भला हो ।।।। Read less