Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

सलमा

सलमा

3 mins
14.2K


एक थी सलमा। उसके घर में अम्मी थीं और उसके अब्बू थे। उसका एक छोटा सा भाई भी था सलीम। घर में सब सलीम को प्यार से सल्लू बुलाते थे। सलमा सलीम के ऊपर तो जान छिड़कती थी। सलमा रोज़ सुबह उठती। तैयार होकर स्कूल जाती। दोपहर में लौटती और खाना खाकर सो जाती। लेकिन शाम होते ही सलमा के सारे दोस्त आ जाते। राजू, दीनू, शीला, पारो और मैकू। फ़िर शुरू हो जाती उनकी धमाचौकड़ी। सारे बच्चे खूब खेलते। कभी गेंद से, कभी गुड़िया-गुड्डा और कुछ नहीं मिलता तो सब मिल कर एक दूसरे के पीछे खड़े होकर लाइन बना लेते। और फिर चल पड़ती थी उनकी छुक छुक गाडी। जब बच्चे कुछ देर खेल लेते तो सलमा की अम्मी सारे बच्चों को अच्छा सा नाश्ता बना बना कर देतीं।बच्चे और भी खुश हो जाते।  

    गर्मी आई तो सबके स्कूल बंद हो गये। सारे बच्चे परेशान की अब क्या करें? दिन भर घर में बंद रहते। लू और गरम हवा के डर से उनके अम्मा बापू उन्हें घर के बाहर नहीं जाने देते। उन्हें केवल शाम को खेलने का मौका मिलता। बच्चों को जितने भी खेल याद आते चाहे वो स्कूल में खिलाए जाते रहे हों या फिर मोहल्ले के और बच्चों से उनहोंने सीखा हो। एक-एक बार सारे खेल खेल लेते और फिर बैठ कर सोचने लगते की अब क्या करें? उस समय न आज की तरह टी.वी. के चैनल थे न मोबाइल या कंप्यूटर वाले गेम।

      बच्चे सलमा की अम्मी या पड़ोस वाली ताई से पूछते तो वो भी कभी-कभी उन्हें अन्त्याक्षरी खिला देतीं। लेकिन बच्चे उससे भी जल्दी ही ऊब जाते।    

     उसी गरमी की छुट्टी में एक दिन सलमा की खाला आ गईं। खाला के साथ उनकी बेटी जूबी भी आई थी। इस तरह सलमा के साथ खेलने वाले बच्चों में एक संख्या और बढ़ गयी। 

     खाला अपने गांव के ही स्कूल में पढ़ाती थीं। बच्चों के तो मज़े ही मज़े हो गये। बच्चे सारा दिन खाला को घेरे रहते। कोई कहानी सुनाने को कहता कोई गीत। किसी को भूतों वाली कहानी पसंद थी तो किसी को शेर और जंगल की। खाला सबकी पसंद का ध्यान रखतीं। आठ दस दिनों तक बच्चों ने खूब मज़ा किया। उन्हें रोज खाला जान से नई-नई कहानियां सुनने को मिलतीं। जूबी के साथ सलमा के सभी दोस्त भी खूब हिल-मिल गए थे।

    एक बार खाला सलमा और उसके दोस्तों को नुमाइश दिखाने भी ले गईं। वहां किसी ने खिलौने लिये किसी ने मिठाई। पर सलमा ने ली कहानियों की किताबें।

खाला ने हंसकर पूछा, “तू किताबों का क्या करेगी रे सलमा?”

सलमा बड़ी मासूमियत से बोली, “खालाजान जब आप चली जायेंगी तो मैं कहानियों की ये किताबें पढ़ा करूंगी। और इतना ही नहीं मैं खाला बन कर आप की ही तरह गांव के सारे बच्चों को भी कहानियां सुनाउंगी। ”सुन कर खाला खूब हंसीं खूब हँसी। उन्होंने अपनी तरफ से भी सलमा के लिए कई अच्छी अच्छी कहानियों की किताबें खरीद दी।

       समय बीतते देर नहीं लगती। कुछ ही दिनों के बाद खाला जान अपने गांव वापस लौट गईं। जूबी भी उनके साथ ही चली गयी। सलमा और उसके दोस्त फ़िर परेशान। अब क्या करें? कैसे बितायें छुट्टियां?

   राजू ने कहा, “चलो सब मिल कर खेलते हैं।”

“वो तो हम रोज़ ही खेलते हैं” पारो ने मुंह बिचका कर कहा। मैकू ने सलाह दी कि स्कूल का पाठ याद करें।

“हुंह, गर्मी की छुट्टियां खेलने के लिये होती हैं कि पाठ याद करने के लिये।” शीला नाराज होकर बोली।

   अचानक सलमा को नुमाइश में खरीदी किताबों की याद आई।

“सुनो सुनो, मैं बताती हूं। नुमाइश में खाला जान ने कहानी की जो किताबें खरीदी थीं वो सब मेरे पास रखी हैं।” सलमा चहक कर बोली।

“तो उन्हें हम क्या करेंगे?” मैकू ने पूछा।

“हममें से एक बच्चा कहानी पढ़ेगा बाकी सब सुनेंगे।” सलमा बोली। सबको यह सलाह अच्छी लगी।इसके बाद सारे बच्चे अपने अपने घर चले गये।

    अगले दिन सलमा कहानियों की किताबें ले आई।अब रोज़ दोपहर में सब बारी-बारी से एक-एक कहानी पढ़ते हैं। बाकी बच्चे बैठ कर सुनते हैं। सभी बच्चों को खूब मजा आता है।

    



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Children