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Sonam Kewat

Others Romance

1.3  

Sonam Kewat

Others Romance

शबाब और शराब

शबाब और शराब

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मेरे हुश्न में कुछ मदिरा की झलक पाए,

मेरे नशे में अनगिनत गुम हो जाए।

मै प्यास हूँ कुछ हवश को बुझाने की,

एक शबाब दिल की दूजी शराब महखाने की।


शराब और शबाब ऩशा दोनों मे छलकता हैं,

शराब तो शायद चढकर उतर भी जाए।

पर भला शबाब का ऩशा कब उतरता है ?

यह करनी है हर एक घर और घराने की।


गम को भुलाने के लिए शराब पीया करते हैं,

शबाब के लिए लोग खुदखुशी किया करते हैं।

शबाब के व्रत से कुछ उम्र भी बढ़ जाए,

पर शराब का काम बस उम्र घटाने की।


लोग शराब पीकर शबाब को भूलाते हैं।

होश में हो तो आहिस्ता करीब जाते हैं

मदहोशी ने पूछा शबाब का क्या इरादा है?

कहा उसने छोड़ शराब नशा मुझमें ज्यादा है।



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