Poonam Singh

Others

4.5  

Poonam Singh

Others

" परछाई "

" परछाई "

2 mins
466



 पति जब ऑफिस से घर पहुँचे तो ठंडा पानी का गिलास उनकी ओर बढ़ाते हुए प्रेम पूर्वक पूछा ,- ऑफिस में कुछ खा तो लिया था ना ? "

" हाँ बाबा... कैंटीन में खा लिया था। उसकी तरफ देखे बग़ैर ऑफिस के कुछ कागजों को पलटते हुए कहा।

" अच्छा किया ! " और कहती हुई चाय बनाने के लिए वापस रसोई में चली गई।

" बहू तू जा आराम कर ले तेरी तबियत ठीक नहीं, आज खाना मैं पकाती हूँ।"

 माँ की आवाज कानों में पड़ते ही बेटे ने दूर से ही कहा, " माँ तुम आराम करो खाना ही तो पकाना होता हैं कौन सा मुश्किल काम है बना लेगी।"

" बना तो लेगी... लेकिन फिर पकाने में कोई कमी रह गई तो मैं नहीं चाहती कि तुम थाली सरकाकर उसके सामने फेंक दो और शारदा रात को भी भूखी ही सोए।" माँ ने रसोई से कमरे में प्रवेश करते हुए कहा। सुनते ही पति की गर्दन एकदम से माँ की ओर मुड़ी, " क्या...! शारदा ने आज खाना नहीं खाया ?"

"ऐसा एक दिन हुआ हो तब ना ! तू तो बाहर में अपने दोस्तो संग हंस बोल कर अपना जी हल्का कर लेता है। बहू दिन भर घर के काम, सेवा शुश्रुषा में लगी रहती है। वो अपने मन की किससे कहे ! "


 'माँ ठीक ही तो कह रही है मैं तो दिनभर ऑफिस में दोस्तो संग गप - शप कर इधर उधर घूम कर अपना मन हल्का कर लेता हूँ लेकिन शारदा...! घर में भी ऑफिस के काम मे व्यस्त रहने के कारण मैं उसे अक्सर झिड़ककर दूर कर देता हूँ। कितना जड़ हो गया था मैं।'



Rate this content
Log in