Ajay Amitabh Suman

Children Drama Inspirational

0.6  

Ajay Amitabh Suman

Children Drama Inspirational

मन की चंचलता

मन की चंचलता

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एक बार की बात है, गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे रास्ते में उन्हें प्यास लगी, उन्होंने अपने एक शिष्य से पानी लाने को कहा। रास्ते में एक पोखर मिला जिसमें कुछ बच्चे खेल रहे थे। शिष्य के जाने पर बच्चे भाग गए। गौतम बुद्ध ने अपने एक शिष्य से पानी लाने को कहा जो पानी लाने को तत्पर हुआ। गौतम बुद्ध ने उसे रोक दिया। थोड़ी देर बाद पानी की गन्दगी बैठने लगी। शिष्य फिर पानी लाने को तत्पर हुआ।

गौतम बुद्ध ने उसे फिर रोक दिया। काफी देर बाद पानी की गन्दगी बिल्कुल बैठ गयी और पानी साफ़ हो गया। अब गौतम बुद्ध ने अब अपने शिष्य को पानी लाने को कहा और बताया की हमारा मन भी उस पानी के उस पोखर के समान है जिसमें छोटी-छोटी बातों से हलचल मच जाती। इसमें स्थिरता लाने का एक ही उपाय है इंतजार। समय के साथ मन में उठी भावनाओं की लहर शांत हो जाती है। समय ही मन में उठी हर अस्थिरता को शांत कर देता है। मन की चंचलता का एक ही उपाय है धीरज पूर्वक प्रतीक्षा। गौतम बुद्ध के शिष्य उनका आशय समझ चुके थे। गौतम बुद्ध का काफिला आगे बढ़ चला।


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