Amritesh Ranjan

Children

1.0  

Amritesh Ranjan

Children

१५ अगस्त प्राइवेट स्कूल में

१५ अगस्त प्राइवेट स्कूल में

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उम्र‬ -5 साल !!सबेरे सबेरे सूरज के स्कूल के मैदान में पहुँचते ही लाउडस्पीकर से देश भक्ति गाने की गूंज बजने लगी थी ,तिरंगे में फूल रख कर ऊपर टांगा जा चूका था | लाइन में लग कर परेड की तैयारी चल ही रही थी ,सूरज जैसे ही लाइन में लगा मैडम जी उसपे बरस पड़ी -"तुम्हारे white ड्रेस और white shoes कहाँ है ,चप्पल पहन कर आये हो ? ऐसे परेड करोगे तुम? बोला गया था न नए ड्रेस में आना है तभी परेड कर पाओगे , चलो निकलो भागो यहाँ से ",सुनते ही सूरज की साँसे डर से तेज चलने लगी , कांपती हुई आवाज में मासूमियत से बोला - "म म मैंम वो मम्मी की तबीयत बहुत ख़राब हो गई है ,इसलिए ड्रेस नहीं सिला पाया है ,"सुन कर मैडम जी और पिनिक गई -"मै कुछ नहीं जानती चलो बाहर निकलो ,"सुनकर सूरज चुपचाप मायूसी और मासूमियत से बाहर से ही परेड और तिरंगे को फहराते और लहराते हुए एकटक देखता रहा ,उस राष्ट्र गान को भी उसने बाहर से ही गुन गुनाने लगा ,खत्म होते ही वो चुपचाप बाहर जाने लगा ,दूकान में छनती हुई जलेबीयों को एकटक निहारने ,लगा,अचानक पीछे से दौड़ता हुआ टिंकू आया सूरज की नन्ही नन्ही हाथो में अपने हिस्से के मिले जलेबी में से उसे थमा दिया -"ये ले", दोनों घर की तरफ चल पड़े | जाते ही ,बेड पर लेटी हुई बीमार पड़ी माँ की मुंह में जलेबी के टुकड़े रखने की कोशिश की -"म म मम्मी जलेबी ," देखते ही मम्मी की आँखे आंसुओ से छलक पड़ी और उस टुकड़े को खुद मां अपने लाडले के मुंह में रखते हुए बोली - "तुम खा लो ,जलेबी तुम्हें बहुत पसंद है न ?".....प्राइवेट स्कूल वालो तुम्हारे स्कूल में कुछ ऐसे भी बच्चे पढ़ते है जिनके माँ बाप सिर्फ तुम्हारी फ़ीस भर पाते है तुम्हारी हर जरुरतो को पूरा नहीं कर सकते इसलिए सिर्फ जूते और ड्रेस की वजह से उन्हें बाहर मत निकालना |


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