कभी स्वयं को जीता हुआ समझता है, कभी स्वयं को जीता हुआ समझता है,
पापा मुझे यहां अच्छा नहीं लगता अब मेरी वह ज़िद कौन करेगा पूरी पापा मुझे यहां अच्छा नहीं लगता अब मेरी वह ज़िद कौन करेगा पूरी
दिल करता है तेरे दिल में मेरे लिए एक आशियाना बना लूं दिल करता है तेरे दिल में मेरे लिए एक आशियाना बना लूं
मेरे बचपन को अपना समझ, खुशियों की झोली भर देता है। मेरे बचपन को अपना समझ, खुशियों की झोली भर देता है।
उजालों में भी कोई अपना यहाँ अब दिखता नहीं, हमारी हर बातों को कोई यहाँ अब समझता नहीं। उजालों में भी कोई अपना यहाँ अब दिखता नहीं, हमारी हर बातों को कोई यहाँ अब समझ...