मनुष्य ही तो बना है मनुष्य और नियंत्रण में चला गया है सम्मोहित हो मनुष्य ही तो बना है मनुष्य और नियंत्रण में चला गया है सम्मोहित हो
फिर चहकी है बुलबुल मेरी बिसम्य की अमराई में। एक तराना जैसे जग का सार हमारे ही अंदर ह फिर चहकी है बुलबुल मेरी बिसम्य की अमराई में। एक तराना जैसे जग का सार हम...
विस्मित करता है मुझे मिट्टी का सख्त हो जाना। विस्मित करता है मुझे मिट्टी का सख्त हो जाना।
झिलमिलाते तारों का चमकना चांद का बादलों की ओट में कभी छुपना झिलमिलाते तारों का चमकना चांद का बादलों की ओट में कभी छुपना
जब तू है पूर्णता से रुक्मणी का... तो राधा से क्यों जुड़ा है...!!! जब तू है पूर्णता से रुक्मणी का... तो राधा से क्यों जुड़ा है...!!!
सपने, हकीकत की तरह मेरे आस पास चहलकदमी कर रहे हैं सपने, हकीकत की तरह मेरे आस पास चहलकदमी कर रहे हैं