ज्यों उपवन की शोभा बढ़ती, मधुर भ्रमर गुंजरों से। नाम लिए हि उतरे लाली, खिलते हुये गुलाबों से॥ ज्यों उपवन की शोभा बढ़ती, मधुर भ्रमर गुंजरों से। नाम लिए हि उतरे लाली, खिलते हुये...
जीवन के हर रंग तुम ही तरंग अंग अंग गाए जीवन के हर रंग तुम ही तरंग अंग अंग गाए
चहुँ ओर बिखरा उजियारा पल्लवित हो रहा हर मन चहुँ ओर बिखरा उजियारा पल्लवित हो रहा हर मन
मेरी तो अब वो जुबाँ की बोली बन गयी ! मेरी तो अब वो जुबाँ की बोली बन गयी !
मेरे दिल की तरंग हो तुम....। मेरे दिल की तरंग हो तुम....।
रेत है पानी है फल है फूल है बिन तेरे मुझे कुछ नहीं कबूल है रेत है पानी है फल है फूल है बिन तेरे मुझे कुछ नहीं कबूल है