इक वादे पे जान दिया करते थे, ऐसे भी लोग हुआ करते थे। इक वादे पे जान दिया करते थे, ऐसे भी लोग हुआ करते थे।
उद्वेग छोड़ कुछ इन पर चल कर देखो ना उद्वेग छोड़ कुछ इन पर चल कर देखो ना
अब गिले शिकवे भी करके क्या करना है जब ठोकरें दोहरा दें कि साथ नहीं चलना है, अब गिले शिकवे भी करके क्या करना है जब ठोकरें दोहरा दें कि साथ नहीं चलना है,
मैं दिखा ना पाई उन्हें अपनी रचनाओं को, ना बांट पाई उनके साथ अपने अनुभवों को, मैं दिखा ना पाई उन्हें अपनी रचनाओं को, ना बांट पाई उनके साथ अपने अनुभवों को,
कभी कभार हो पाती हैं बातें, वार त्योहार पर सताती हैं यादें कभी कभार हो पाती हैं बातें, वार त्योहार पर सताती हैं यादें