सावन की रातें अक्सर ऐसी बूंदों से झनझनाती हैं। जैसे मधुर शहनाई बज रही हो| सावन की रातें अक्सर ऐसी बूंदों से झनझनाती हैं। जैसे मधुर शहनाई बज रही हो|
सावन की रातें अक्सर ऐसी बूंदों से झनझनाती हैं। जैसे मधुर शहनाई बज रही हो। सावन की रातें अक्सर ऐसी बूंदों से झनझनाती हैं। जैसे मधुर शहनाई बज रही हो।
कुछ दिल से निकाल लेता हूं कुछ दिल से निकाल लेता हूं
कभी कभार हो पाती हैं बातें, वार त्योहार पर सताती हैं यादें कभी कभार हो पाती हैं बातें, वार त्योहार पर सताती हैं यादें