और अचानक ही ..माँ !..माँ ! माँ !" कह कर फूट- फूट के रो पड़ा ! और अचानक ही ..माँ !..माँ ! माँ !" कह कर फूट- फूट के रो पड़ा !
इधर से दनादन थप्पड़, टूटी थी चारपाई, उधर से भी तो चौकी, बेलन बरस रहे थे। इधर से दनादन थप्पड़, टूटी थी चारपाई, उधर से भी तो चौकी, बेलन बरस रहे थे।
आज वो बूढ़े हो गये और कुछ ऊँचा सुनने लगे हैं। आज वो बूढ़े हो गये और कुछ ऊँचा सुनने लगे हैं।
और नहीं चाहिए हम जैसी लुगाई अब बस दिल पर तुम्हरा नाम लिखवाई। और नहीं चाहिए हम जैसी लुगाई अब बस दिल पर तुम्हरा नाम लिखवाई।