इतनी निर्दयता हाय,कहाँ से हो पाती, प्रकृति खड़ी है मौन,क्यों नहीं रो पाती, इतनी निर्दयता हाय,कहाँ से हो पाती, प्रकृति खड़ी है मौन,क्यों नहीं रो पाती,
मूल में सूद जोड़कर खूब निचोड़ा किश्तों ने रिश्तों को तोड़ा थोड़ा-थोड़ा। मूल में सूद जोड़कर खूब निचोड़ा किश्तों ने रिश्तों को तोड़ा थोड़ा-थोड़ा।
जब जान तुम्हारी ही न होगी तब कैसे औरों की जान बचा पाओगे ? जब जान तुम्हारी ही न होगी तब कैसे औरों की जान बचा पाओगे ?
भूल के सारी रंजिशें आ बढ़ाए एक कदम को साथ में विश्व के विभिन्न मंच से आवाज ये लगा भूल के सारी रंजिशें आ बढ़ाए एक कदम को साथ में विश्व के विभिन्न मंच से ...
हालात औ वक़्त से उठी गलतफहमियों की कड़ियों को सुलझाने की हालात औ वक़्त से उठी गलतफहमियों की कड़ियों को सुलझाने की
कोई भी मुस्कुराता नहीं है दे... कोई भी मुस्कुराता नहीं है दे...