गर तुम भी साथ देते जोड़ने में तो मजबूत होती ज़ंजीर हमारे रिश्ते की। गर तुम भी साथ देते जोड़ने में तो मजबूत होती ज़ंजीर हमारे रिश्ते की।
कभी-कभी इन्सान खुद को ही सोच की जंजीरो में बांध लेता है तब क्या होता है यह इस कविता में दर्शाया है । कभी-कभी इन्सान खुद को ही सोच की जंजीरो में बांध लेता है तब क्या होता है यह इस कव...
हालात औ वक़्त से उठी गलतफहमियों की कड़ियों को सुलझाने की हालात औ वक़्त से उठी गलतफहमियों की कड़ियों को सुलझाने की
हमको याद कर के कभी रोना नहीं तुम। वरना हम सुकून से कहीं पे ना रह पायेंगे हमको याद कर के कभी रोना नहीं तुम। वरना हम सुकून से कहीं पे ना रह पायेंगे