देख प्रकृति के रौद्र रूप को, मन आशंकित हो रहा था। देख प्रकृति के रौद्र रूप को, मन आशंकित हो रहा था।
और अति शोक को महसूस किया है। और अति शोक को महसूस किया है।
क्षण भंगुर संसार है यह, मिट्टी का है तू, मिट्टी में मिल जाएगा। क्षण भंगुर संसार है यह, मिट्टी का है तू, मिट्टी में मिल जाएगा।
अभी उगा है सूर्य धरा पर, अभी खिली है धूप। अभी उगा है सूर्य धरा पर, अभी खिली है धूप।
मृत्यु का भार सहोगे अब कैसे फसलों को भी सिंचोगे। मृत्यु का भार सहोगे अब कैसे फसलों को भी सिंचोगे।
सबको साथ लेकर चली आज भी साथ हूँ, बस मुस्कुरा दो यहीं आसपास हूँ। सबको साथ लेकर चली आज भी साथ हूँ, बस मुस्कुरा दो यहीं आसपास हूँ।