दिल के अंतस से उपजी एक कविता..... दिल के अंतस से उपजी एक कविता.....
अरे कर्मों का फल निपटा ले पल दो पल का है तू मेहमान! अरे कर्मों का फल निपटा ले पल दो पल का है तू मेहमान!
मै उस दिव्य चेतना का स्वरुप और उसी शक्ति का एक पुँज ! मै उस दिव्य चेतना का स्वरुप और उसी शक्ति का एक पुँज !
दिल दिमाग अलग है, इस कहावत को तू याद ना कर! दिल दिमाग अलग है, इस कहावत को तू याद ना कर!
स्वयं की खोज़ में ईश्वर तक पहुंचना है प्रभु की रचना को अपनी तरह से रचना है। स्वयं की खोज़ में ईश्वर तक पहुंचना है प्रभु की रचना को अपनी तरह से रचना है...
कितना अच्छा हो....... इन सब को दरकिनार करें और सीधे सरल विचार करें कितना अच्छा हो....... इन सब को दरकिनार करें और सीधे सरल विचार करें