दिल दिमाग और मैं
दिल दिमाग और मैं
आज फिर मैं कुछ नहीं लिख पाई
मैंने पूछा इस दिल से.. तो उसने वजह मुझे मेरी यह तन्हाई बताई।
मैं तन्हा कैसे हूं ?.. मुझे इस दिल की यह बात समझ नहीं आई।
मैंने सोचा थोड़ा दिमाग लगाया जाए
अरे! इतने सारे लोग हैं मेरे... इस दिल को यह समझाया जाए।
दिल बोला:- तेरे मुंह पर तेरे मेरे मुंह पर मेरे हैं
ऐसे लोगों के तो न जाने कितने डेरे हैं।
मैंने बोला वह मेरा साथ देते हैं
मुझे दिल ने समझाया... ना ना, वह बस तुझसे अपना काम लेते हैं।
दिल तो मेरा बोलता चला जा रहा है
चुप बैठा यह दिमाग शायद उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा है।
समझता हूं मैं सब, पर तू मेरी सुनती कहां है
दिल दिमाग के बीच, तू मुझे चुनती कहां है।
यह सुनते ही, मैं जरा सोच में पड़ गई थी
औरों के लिए मैं तो खुद से ही लड़ रही थी।
आखिर कौन थे वह?.. जो चले गए थे मुझे मुझसे लड़ता हुआ छोड़कर
मैं जानना चाहती थी, कौन थे वह जो छोड़ गए थे मुझे मुझ ही में तोड़कर।
टूटे हुए हिस्से मेरे आपस में टकरा रहे थे
खामोश थी मैं बाहर से, अंदर यह हल्ला मचा रहे थे।
बहुत शोर था मेरे अंदर पर बाहर बेहद शांति थी
तोड़ा दिल जिन लोगों ने, मैं उन्हीं का कहा क्यों मानती थी?
मायूस था दिल बड़ा, वह जवाब ना दे पाया
हिम्मत कर इस दिमाग ने इसका उत्तर मुझको समझाया।
दिमाग कहता हैैैै :-
तू सुनेगी तो मैं तुझको समझाऊंगा
कई राज दफन हैं तुझ ही में तेरे, यह मैं तुझको बतलाऊंगा।
रिश्ते तू सारे दिल से निभा रही थी
बाज़ी इस दिमाग की, तू हारती चली जा रही थी।
मैंने कहा:- अरे! दिल के रिश्ते दिल से ही तो निभाती ना
दिमाग की बाज़ी को बीच में क्यों लाती हां??
तू समझती नहीं है मुझे, मैं कब से समझा रहा हूं।
तेरे इस दिल के चक्कर में, मैं हारता ही जा रहा हूं।
तेरे यह रिश्ते, वह कभी नहीं निभा पाए थे
याद कर जब जरूरत थी तुझे, वह मिलो दूर भी नज़र नहीं आए थे।
भूल गई है शायद तू, रुक मैं याद दिलाता हूं
दिल-दिमाग की इस लड़ाई में, मैं रोज़ ही मारा जाता हूं।
वह काम से काम रखने वाले, कभी तेरे अपने नहीं हो सकते हैं
अपना काम निकलवा कर जो कहते थे "अच्छा चलो, अब हम रखते हैं।"
क्या कभी उन्होंने, तेरा हाल भी जाना क्या?
तेरी इस हंसी के पीछे का वह मलाल पहचाना क्या??
जवाब तुझे याद है पर तू बोलने से कतराएगी
अभी वक्त है, दिमाग से सोच ले वरना बहुत पछताएगी।
वह तुझे सिर्फ पहचानते हैं, कभी जान नहीं पाएंगे
झूठी तसल्ली देकर, तेरे अपने थोड़े ही बन जाएंगे।
अरे! दिखावा करने वालों से दूर रह, यह तो मैं तुझे कितना कहता था
तू क्या जाने तेरे उस दिल के चक्कर में, मैं भी बहुत कुछ सहता था।
ख़ैर, मैं शिकायत छोड़कर तुझे समझाऊंगा
अरे! तेरा ही तो दिमाग हूं, तेरे ही काम आऊंगा।
फैसले दिल से लेकर "अरे! दिमाग खराब है मेरा" यह तू कहती है
दिमाग को बुरा बोलकर, न जाने किस वहम में रहती है।
खराब कैसे हुआ मैं, क्या तू मुझे समझाएगी?
मिला क्या 'रिश्ते निभा कर दिल से' क्या तू मुझे बतलाएगी।
टूटे हुए इस दिल के साथ अब तू भी रोती है
परेशानी से बच जाएगी, यह सोचकर और ज्यादा सोती है।
अब से, दिल के साथ मेरी भी थोड़ी सुन लिया कर
दिल के ऊपर ना सही, उसके साथ ही मुझे चुन लिया कर।
टूटा हुआ दिल तेरा, हम उसे मिलकर साथ सजाएंगे
जब तीनों हो जाएंगे एक तो पूरी दुनिया से भी लड़ जायेंगे।
दिल दिमाग अलग है, इस कहावत को तू याद ना कर
तीनों है हम हिम्मतवाले, इस दुनिया से तू बिल्कुल ना डर।
हम जुदा थे इसीलिए डगमगा रहे थे।
एक दूसरे का बोझ तो हम तब भी मिलकर उठा रहे थे।
दिल दिमाग और तू,एक होकर भी अलग हैं, अलग होकर भी एक।
हो जाएगा विश्वास, तू एक बार इन्हें साथ मिला कर तो देख।
