मुझे अब तू रहने दे महकता ही क्यों खिज़ा का मौसम तू ले आई जिंसदी। मुझे अब तू रहने दे महकता ही क्यों खिज़ा का मौसम तू ले आई जिंसदी।
घर घर से सोशल मिडिया पर, बिन पैसो के, खुद ही कूद रहा है। घर घर से सोशल मिडिया पर, बिन पैसो के, खुद ही कूद रहा है।
अच्छा बुरा हर सफर प्यारा अपने गम में भी। अच्छा बुरा हर सफर प्यारा अपने गम में भी।
बदल गया मौसम, बदल गए सारे ना बदला मैं, ना बदले चाँद तारे। बदल गया मौसम, बदल गए सारे ना बदला मैं, ना बदले चाँद तारे।