तुझे सब है पता - माँ
तुझे सब है पता - माँ
मुश्किलों में दुआ में होती है
चोट लगने पर दवा में होती है
जो रक्त के कतरे - कतरे में बहती है
वो "माँ " होती है।
बचपन में
अपनी उनींदी आँख लिए
हमारे लिए लोरी की थपकियों में होती है,
कहानियां सुनाकर खिला देने वाली
नापसंद सब्जियों में होती है।
जिसका आँचल पकड़
बच्चों की सुबह होती है
वो माँ होती है।
तपती धूप में
थकने पर जो छाया होती है
फिसल कर
गिर न पड़ें हम,
सम्हालने वाली जो
हमारी साया होती है
जीवन के हर डगर पर
जो रहनुमायाँ होती है
वो "माँ "होती है।
गर्भ में रख नौ महीने
हर कष्ट पर चुप रहती है
सींचती रहती है हर पल हमें
जो प्रसव पीड़ा सहती है
सृष्टि को एक नयी कृति
देने के लिए,
जो खुद फ़ना होती है
वो "माँ" होती है
वो "माँ" होती है।