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Jayantee Khare

Others

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Jayantee Khare

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तड़प

तड़प

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बादल बन के दम छाए रहते हो

मग़र बूँद बूँद ही बरसते हो

कभी तो खुल के बरसो

एक मुद्दत हो गयी

सूखी जमीं में दरारें पड़ गयी है

इतना बरसो कि

तुम रिसने लगो दरारों से

बह जाने को जी करता है

तुम्हारे सैलाब में....


यूँ तो अधूरे से ही मिलते हो

मग़र कुछ देर को

मुझे पूरा कर जाते हो

जब बिछड़ते हो

तो भी पूरे नहीं

आधे तो यहीं रह जाते हो

बस मेरे आसपास....


मैं भी तो आधी

चली जाती हूँ

तुम्हारे साथ....

कभी तो बात पूरी हो

अधूरी ही छोड़ जाते हो

हर बार ही

हर बात को

और मुझे....


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