बचाओ अपनी धरोहर गंगा को। बचाओ अपनी धरोहर गंगा को।
कुछ इस तरह झूमकर सावन आ जाए। कुछ इस तरह झूमकर सावन आ जाए।
सारी उदासियों को धता बताकर मैंने भी मन ही मन ठान लिया है, मुझे भी जिंदा रहना है इसी सारी उदासियों को धता बताकर मैंने भी मन ही मन ठान लिया है, मुझे भी जिंदा रह...
उफनती मचलती बलखाती उफनती मचलती बलखाती
एक परवाह भरा स्पर्श, दुलार भरा अपनापन महसूस होते ही मुरझाई कली खिल उठती है एक परवाह भरा स्पर्श, दुलार भरा अपनापन महसूस होते ही मुरझाई कली खिल उठती है
सूखती पत्तियों का दुख, दर्द औऱ भय सब्ज पत्तियां कभी नहीं समझेंगी! सूखती पत्तियों का दुख, दर्द औऱ भय सब्ज पत्तियां कभी नहीं समझेंगी!