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Kunda Shamkuwar

Others

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Kunda Shamkuwar

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मुस्काता गुलमोहर

मुस्काता गुलमोहर

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आज एक बच्चे की निश्छल हँसी देखी 

लगा कि मैंने अपनी हँसी कहीं खो दी है

सोच कर परेशान हो रहा हूँ मैं

कि मैंने वो हँसी कहाँ खो दी है?

दुनिया के कायदे कानूनों में? 

या फिर जिंदगी की मजबूरियों में?


मैं अपने आसपास निगाहें दौड़ाता हूँ

और पाता हूँ उस खड़े गुलमोहर को

जो भीषण दोपहरी में मुस्कुराता रहता है

राह चलते मैं देखता हूँ सूखी हुई घास को

मुझे याद है कि बीते साल पहली बारिश में

उग आयी थी छोटी छोटी हरी हरी कोंपलें

इसी सूखी घास में ही


मैं अपनी उदासियों को धता बताकर

मैं भी मन ही मन ठान लेता हूँ 

मुझे भी रहना है इसी सूखी घास की तरह

जो पहली बारिश के बाद हरी भरी हो जाती है

भीषण गर्मी में जो गुलमोहर मुस्काता रहता है

मुझे भी मुस्काना है लाल हरे गुलमोहर की तरह


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