STORYMIRROR

Renuka Vyas

Inspirational

4  

Renuka Vyas

Inspirational

शुरुआत

शुरुआत

1 min
186

उन पुराने लम्हों को समेट कर

नयी शुरुवात करने जा रही हूँ 

कुछ किस्से कुछ बाँतें पीछे छोड

ख़ुशियों से मुलाकात करने जा रही हूँ 


गुनाह क्या था मेरा,क्या थी गलती

जो सजा इस कदर दी जमाने ने 

ऊसी जालिम बेइमान जमाने को 

थोडी सी शराफ़त सिखाने जा रही हूँ 


मेरे प्यार को मेरी कमजोरी समझ बैठा वो

जो कभी उसकी ताकद हुआ करता था

उसकी बदनसिबी जो वो उसे ठुकरा गया

उस बेइमान को उसकी औकात दिखाने जा रही हूँ 


बेशुमार अपनापन दिखाना आदत थी मेरी

जान पे खेल कर जान बचाना फितरत थी मेरी

मेरी अच्छाईयों ने ही कहानी लिखी मेरी बर्बादी की

उन्हीं अच्छाइयों को तजुर्बे से मात दिलाने जा रही हूँ।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Renuka Vyas

Similar hindi poem from Inspirational