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Arunima Bahadur

Romance

4  

Arunima Bahadur

Romance

प्रियतम का प्रेम

प्रियतम का प्रेम

1 min
410


खोज रहे हो क्या,

कभी हुस्न,

कभी चांद,

कभी तारे,

कभी मृगनयन,

कभी गुलाबी होंठ,

पर वास्तव में,

खोज क्या है तुम्हारी,

सोचा क्या?

केवल प्रेम,

केवल प्रेम,

केवल आनंद,

केवल आनंद,

पर है कहां वो?

केवल तुम्हारे पास,

एक निश्चल, निर्मल सा,

वो ढाई अक्षर,

जिससे बने हो तुम,

जो हो भी तुम,

फिर बांट दो न,

सारी वसुधा को,

यही निश्चल, निर्मल प्रेम,

बनेगी धरा भी फिर,

बस प्रेम ही प्रेम

और

फिर तो कण कण में पाओगे,

वही सुंदरता,

वही आनंद,

जो रचा बसा है तुम्हारे भीतर,

केवल तुम्हारे भीतर,

साकार हो जायेंगे,

फिर हर रिश्ते, नाते

और हमसफर का प्रेम,

जो पा लिया,

खुद में छिपे,

उस प्रियतम का प्रेम,

उस प्रियतम का प्रेम।।



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