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Saloni Rai

Abstract

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Saloni Rai

Abstract

मुझे इश्क कलम से है

मुझे इश्क कलम से है

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हर मोड़ पर, हर लम्हे में मेरे साथ रहती है

ये कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ती


ये मेरा हर जस्बात समझती है

मेरी अनकही हर बात समझती है

ये मुझसे कभी मुंह नहीं मोड़ती


मुझे इश्क़ कलम से है

क्यूँकि ये मुझसे झुट नहीं बोलती

अच्छे बुरे हर वक्त में

मेरा साथ निभाती है

जो जुबा नहीं कह पाती

ये वो भी लिख जाती है


सच्चा इश्क़ कलम ने

मुझे सिखाया है

खुद बिखर कर,

मेरे शब्दों को इसने सवारा है

मुझे इश्क़ कलम से है

ये मुझे परखती नहीं है


मेरी कहानी का ये

सबसे ऐहम किस्सा है

मेरी ज़िन्दगी का ये

सबसे ऐहम हिस्सा है


मेरे भटक जाने पर शब्दों का

आईना मुझे दिखती है

ये किताबें और कलम

मुझे भटकने नहीं देती


मुझे इश्क़ कलम से है

ये मुझे बिगड़ने नहीं देती

कुछ गलत करने नहीं देती


मेरी हर सोच को पन्नों

पर ले आती है

इस तरह मेरी कलम मेरा हर

मोड़ पर साथ निभाती है

मुझे इश्क़ कलम से है

मुझे इश्क़ कलम से है।


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