मौसम है मनुहार का
मौसम है मनुहार का
मौसम है मनुहार का,
लेता इक ही नाम
शिकवे भी उनके लगें
प्रीत भरे पैगाम।।
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पहली बारिश में लिखा,
ख़त जो उनके नाम।
सावन ने फिर कर दिया,
बाकी था जो काम।।
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हरियाली चूनर लिए,
बादल आए गाँव।
धरती ने भी बाँध ली,
पायल अपने पाँव।।
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बादल-बादल मन उड़े,
दूर गगन के पार।
सौदागर सावन चला,
बाँटे घर-घर प्यार।।
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बूँद-बूँद छत पर बजे,
जैसे ढोल मृदंग।
लहर-लहर बहती हवा,
चूनर ले सतरंग।।
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अमृत जैसी बूँद से,
भूमि करे शृंगार।
सावन लेकर आ गया,
खुशियों के त्योहार।।
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