यादों की बरसात
यादों की बरसात
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निष्ठुर यह सावन सखी,
खोले बंद किताब।
यादों में मिलते नहीं,
बाकी रहे हिसाब।।
सर्द हवा गाने लगी,
मिलन-विरह के गीत।
बिछड़ गए जो राह में,
मिलें न फिर मनमीत।।
कजरारी बदली लिखे,
यादों वाले छंद।
मोती जैसी बूंद से,
अँखियों के सम्बंध।।
बदली ने तोड़ा नहीं,
सावन का विश्वास।
विरहन के हर गीत में,
पिया मिलन की आस।।
मनमीता सावन सखी,
जाने मन की बात।
बरस-बरस बरसा करे,
संग नयनों के रात।।
आँखों आँखों मे कटे,
सूनी-सूनी रात।
खत्म नहीं होती मगर,
यादों की बरसात।।