माँ
माँ
माँ जैसी सहेली
इस दुनिया मे और कहां
सही गलत की पहचान कराके
सही रास्ता दिखाता कौन यहां
कितने रूप तेरे,
हर रूप मे तू अनोखी
सबकी खुशी का खयाल रखती,
पर अपने बारे मे कभी ना सोचती
निस्वार्थ भाव से सब पे
जीवन अर्पित करता कौन यहां??
सारे दुखो को दिल मे छिपाकर रखती
दिन भर काम करती , तू रात को भी ना चैन से सोती
उफ तक ना करती तू कांटों पर भी चल के
तेरे जैसे राहों मे फूल बिछाता कौन यहां????
कैसे बयां करू माँ को चंद शब्दो मे,
जन्नत का फूल कहूं,
या मेरे दिल की जन्नत कहूं????
धरती पर भगवान जैसी तू,
लाख गलतियों को माफ कर के सीने से लगाता कौन यहां??