कर्ज़
कर्ज़
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मेरी आँखों में जो भी आँसू थे
सब तुझसे मिलकर बहा आया हूँ,
सौ मुसीबतों से घिरा था मैं भी,
यूँ ही दिल में सब छुपा लाया हूँ,
ख्वाइशें मेरे दिल की भी बहुत थीं लेकिन,
खुद को दूसरों की खुशी में भुला आया हूँ,
था एक अलग सा अहसास मोहब्बत का,
मैं वो सारे अहसास सीने में दबा लाया हूँ,
कुछ आधा सा अधूरा सा ही सही लेकिन,
मैं इश्क़ अपना भरपूर जता आया हूँ,
तेरे प्यार का कर्ज़ बहुत था मेरे सर,
मैं वो सारे तेरे कर्ज़ चुका आया हूँ।