कलयुग का रावण
कलयुग का रावण
झूठी है तेरी मर्यादा,
मेरा अभिमान सच्चा है,
हे कलयुग के राम !
तुझ से तो रावण अच्छा है।
ना मैं मर्यादा पुरुषोत्तम,
ना मैं पतित पावन हूँ,
एक बहन का रक्षक हूँ मैं,
राम नहीं मैं रावण हूँ।
अपनी बहनों का चीर हरण,
तू देख खड़ा रह जाता है,
तेरी हिम्मत का वीर बाण,
तरकश में पड़ा रह जाता है,
सूर्पनखा की नाक बचाने को,
मैं सदा ही तत्पर रहता हूँ,
मैं हूँ दशानन लंका का,
मैं अपने दम पर रहता हूँ।
