ख़ज़ाने की पोटली - राखी
ख़ज़ाने की पोटली - राखी
लो आया फिर रक्षाबंधन का त्योहार
चली हर बहन लेके मीठी मनुहार
खुशियों भरी कामनाएं मन में लेके अपार
भईया की कलाई में बांधने सारा संसार।
अक्षत रोली मोली से सजा के थाली
भईया की पसंद की हर चीज़ सवारी
छोटी सी राखी में समाई खुशियाँ एवं दुआएँ सारी
उसकी एक प्यारी सी मुस्कान आज सब पर भारी।
बचपन में लड़ना झगड़ना था रोज़ की बाती
वही छोटी नोक झोक आज हमें कभी हंसाती
तो कभी उन्ही किस्सों को याद कर आँख भर आती
मीलों की दूरियां आज के दिन है भर जाती।
जैसे हर शरारत में होते थे बचपन में भागीदार
आज भी हम है सुख दुःख के जोड़ीदार
इन् सुखद यादों से भरी मेरी ख़ज़ाने की पोटली
रक्षाबंधन फिर ले आया खुशियों भरी झोली।