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amar singh

Inspirational

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amar singh

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कौन हूं मैं?

कौन हूं मैं?

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कुछ पल अधूरे-अनचाहे-अनजान से,

शायद मुझको भी पता नहीं कि क्यों।


क्या पता-क्या चाहता हूं मैं,

जो मुझको मिल नहीं पाया अब तक।


क्या कहूं-क्या सुनूं मैं जानता नहीं,

बस जो भी भा जाये, जान लेता हूं अब।


मान लेता हूं अब, क्यों,

कुछ जानता नहीं मैं।


बस अब तक यही जान पाया हूं मैं,

इतना कुछ जानकर,


कि कुछ भी तो पता नहीं कर पाया,

कि आखिर कौन हूं मैं।


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