STORYMIRROR

amar singh

Others

3  

amar singh

Others

गुलाब की मुस्कान

गुलाब की मुस्कान

1 min
333

मधुर पवन खुले उपवन, 

महकते गुलाबों की सौंधी सुगंध, 

खुले नयन कहे मृग मन,

छू लूँ हर पल, न हो कोई बंधन।


बहकते कदम झूमे तन मन, 

नैनो से गिरे मोती मंद-मंद,

भवरो का गुंजन, फैला गगन,

छोटी से हंसी, छोटा सा ये मन।


संतूर की तरंग, बजता मृदंग,

माँ की ममता, शिशु का रुदन,

अनूठा बचपन, मतवाला यौवन,

गुलाब की मुस्कान, गुलाब की धड़कन,

देखे ये नयन - देखे ये नयन।



Rate this content
Log in