जीवन अपना सार्थक करो
जीवन अपना सार्थक करो
जीना अपना व्यर्थ न जाये, सभी जीवन सार्थक करो।
सद्कर्मों की गठरी भर लो ,हित मन इसे प्रार्थक करो।।
अपना किया ही संग जाएगा, किसी को देना दोष नहीं ।
सोच समझ के चलना बंदे, राह में खोना होश नहीं ।
अंग दुखे तो तू सह लेना , संग किसी के न अनर्थ करो।
जीना अपना व्यर्थ न जाये, सभी जीवन सार्थक करो।।
निज भरता है चादर अपनी, रोज अपना-अपना करके।
ढोंग प्रभु के ही सम करता, स्वाँग जपना-जपना धरके।
जो जप सको तो मन से जपो, जीवन अपना सार्थज करो।
जीना अपना व्यर्थ न जाये, सभी जीवन सार्थक करो।।
ग़र दान बड़ा न कर सको तो, कभी मत पछताना मन में।
हृदय किसी का जो नहीं दुःखा, यही है सच्चा सुख तन में।
मानवता से भरपूर मनु, बनों तो प्रयास अथक करो।
जीना अपना व्यर्थ न जाये, सभी जीवन सार्थक करो।।
खरा सोना तो अपने हाथ, साथी चलते बनके पैर ।
आँखों की ये जोड़ी रहती, जैसे बाक़ी सब है ग़ैर।
नाक-मुँह-श्वासों का गहना , तन को प्रेरणार्थक करो।
जीना अपना व्यर्थ न जाये, सभी जीवन सार्थक करो।।
तन को माँजो भले ही रोज़, रोज मन को भूल न जाना।
भाव रखो तो ऐसे जैसे, हो अंतिम दिवस का दाना।
आने वाला कल गायेगा, सोच वही तो गाथक करो।
जीना अपना व्यर्थ न जाये, सभी जीवन सार्थक करो।।
जीना अपना व्यर्थ न जाये, सभी जीवन सार्थक करो।
सद्कर्मों की गठरी भर लो ,हित मन इसे प्रार्थक करो।।