जागो प्यारे हीरो
जागो प्यारे हीरो
आज मेरी अंतस वेदना,वीरों को फिर बुला रही हैं।
थे जो वसुधा के जो हीरो,याद उनकी दिला रही हैं।।
कितने थे शूल पथ में,फिर जो बढ़ते ही चले गए।
शूलों से ही सीख सीख कर,ध्येय पथ पर बढे चले।।
सच्चे हीरो वो ही थे धरा के,धरा उन्हें फिर बुला रही हैं।
आज छिपे वो मानव तन में,वसुधा उन्हें फिर जगा रही हैं।।
क्यो सोए हो तुम वीरों,गहन क्यो हैं आज तुम्हारी निद्रा।
मचा चारो ओर तमस सा,देखो न दिखे कही उजियारा।।
तुम ही तो हो सविता,प्रकाश जिसे धरा पर ही है लाना।
केवल तुम तो हो धरा के,केवल और केवल खज़ाना।।
मत भूलो खुद को,न कभी भूलना वसुधा का कर्ज भी।
तुम्ही तो हो केवल एक हीरो,जिसे यहाँ अमन चैन लाना।।
छोड़ो फिर तंद्रा,तोड़ी फिर निद्रा,स्वार्थ में न अब उलझना।
कर्तव्यों से तुम्हे अपने,तुम्हे अब ये वसुंधरा है जगमगाना।।