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Renu Kumari

Abstract

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Renu Kumari

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एक खत

एक खत

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एक खत रूहानी इश्क़ के नाम लिख रही हूँ

जीवन के आखरी पड़ाव पर आकर,

 सांसो का आखरी जाम लिख रही हूँ।

अश्को को खत पर गिरने न दूंगी,


बड़ी मुश्किल से काम कर रही हूँ

अगले जनम में भी इश्क़ तुझी से हो, 

तेरी रूह को ये पैगाम लिख रही हूँ

समझना मेरे इश्क़, मेरे ज़ज्बातो को,


हमेशा की तरह इस खत में भी बस,

तेरा और मेरा नाम लिख रही हु।

कहाँ हो तुम ? अब तो बताओ मुझे,

आज भी ये खत बिना पते के, 


घुमनाम लिख रही हूँ

सुनो... तुम पढ़ना जरूर 

जीवन का अंतिम खत सिर्फ और सिर्फ 

तुम्हारे नाम लिख रही हूँ।

तुम्हारे नाम लिख रही हूँ।


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