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प्रभात मिश्र

Others

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प्रभात मिश्र

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ऐसा भी हुआ

ऐसा भी हुआ

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जब कहना था कुछ

पर कह गये कुछ

जो भीड़ में तो थे

फिर भी अकेले कुछ


ऐसा भी हुआ होगा


जब साथ में तो थे

पर सुन न सके कुछ

जब सुनना चाहा

वो कह न सके कुछ


ऐसा भी हुआ होगा


जब ना समझे हो

चिल्लाने पर भी कुछ

या मौन में भी आँखें

कह गयी हो सबकुछ


ऐसा भी हुआ होगा


उसे पहचानते होगे

पर जानते नहीं कुछ

उस शख़्स से मिलकर

हैरान हुये कुछ


ऐसा भी हुआ होगा


वो दिखता था कुछ

निकला और कुछ

परेशान हुये होंगे

जानकर सब कुछ


ऐसा भी हुआ होगा


आजाद ख्याली में

लोगों से दूर आये

जब बात करनी चाही

तब मिला नहीं कुछ


ऐसा भी हुआ होगा


जब भरा पड़ा था मन

पर कह न सके कुछ

हर शख़्स को टटोला

पर मिला नहीं कुछ


ऐसा भी हुआ होगा


आलीशान सी इमारत

भीतर से थी वीरान

एकांत के अलावा

अंदर मिला ना कुछ


ऐसा भी हुआ होगा


एक अदना सा बच्चा

सीखा गया वो ढंग

किताबों में सर खपाये

हासिल न हुआ कुछ


ऐसा भी हुआ होगा


उसकी संभाल न की

हासिल था जो भी कुछ

जब हाथ से निकला

वापस मिला ना कुछ


ऐसा भी हुआ होगा


कभी खूब सो लिये

सपने भी कई देखे

जब नींद से जागे

मिला ही नहीं कुछ


ऐसा भी हुआ होगा


जो कभी राजदार था 

चैन औ करार था 

मुद्दतों से अब उसका 

ना हाल मिला कुछ...


ऐसा भी हुआ होगा



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