ज़िंदगी में बदलाव
ज़िंदगी में बदलाव


पांचवी कक्षा की हिंदी की क्लास चल रही थी। शिक्षक ने बच्चों से ‘मेरा सपना’ विषय पर निबंध लिखने को कहा। सभी बच्चों ने अपने-अपने हिसाब से निबंध लिखे। किसी का सपना इंजीनियर बनने का था तो किसी का डॉक्टर। किसी को नृत्य में महारत हासिल करनी थी तो किसी को गायन में। हर बच्चा कुछ बड़ा करने का ही सपना देख रहा था। टीचर हर बच्चे का निबंध चेक कर रहीं थी। एक बच्ची ने लिखा था कि वो बड़े होकर खूब पैसा कमाना चाहती हैं, ताकि उन पैसों से एक बस ख़रीदे। टीचर की समझ में नहीं आया कि ये बच्ची बस खरीदकर क्या करेगी? लेकिन जैसे ही टीचर ने आगे निबंध पढ़ा, उनकी आंखें नम हो गई।
नन्हीं बच्ची ने लिखा था- ''मेरे पापा के पास कार है। उसमें सिर्फ़ चार ही लोग बैठ सकते हैं
। इसलिए कहीं भी जाना रहता हैं तो मेरे मम्मी-पापा और हम दोनों बहन-भाई ही जाते हैं। मेरे दादा-दादी घर पर ही रहते हैं। मेरे दादा-दादी बहुत अच्छे हैं। वे मुझसे बहुत प्यार करते हैं। मैं भी उन्हें बहुत प्यार करती हूँ। जब भी हम चारों घूमने जाते हैं तब उन दोनों का चेहरा उदास हो जाता है। मुुुुझेे लगता हैैं कि दादाजी और दादीजी भी हमारे साथ घुमने चले। पापा कहते हैं कि उन दोनों में से एक व्यक्ति की तो कार में जगह हो सकती हैं, लेकिन दोनों की जगह नहीं हो सकती। अब दोनों में से किसको बैठाएं और किसको छोड़े...इसलिए दोनों को ही छोड देते हैं! बस इसलिए मैं पैसा कमाकर बस खरीदना चाहती हूं।''